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आस्था से आर्थिक विकास तक विकसित भारत की और तेजी से बढ़ते कदम

भारतवर्ष के पूरे इतिहास मे धर्म व संस्कृति का महत्व पूर्ण स्थान रहा है । यह देश विश्व की प्रमुख धार्मिक परंपराओ का अग्रगण्य है। इस देश के वैदिक सनातन धर्म की व्याख्या भी मानव उत्पाती से भी पहले की है। वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म भारत की विभिन्न संस्कृतिओ का सम्मिश्रणन है। बीते एक दसक मे भारत धार्मिक आस्था और  सनातनी गौरव का साक्षी रहा है। देश मे लगातार धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। भारत के लोग धार्मिक पर्यटन और कैजुअल पर्यटन पे काफी पैसा खर्च करने वाली आबादी है। ऐसे मे युवा वर्ग से लेकर के बुजुर्ग लोग भी धार्मिक पर्यटन स्थलों पर आवागमन बढ़ा रहे है। आस्था से आर्थिक विकास की इस यात्रा से  भारत के विकसित भारत के संकल्प को भी गति मिली है।

हाल ही मे राम मंदिर प्राण प्रतिस्था विश्व के करोड़ों राम भक्तों की  आस्था का केंद्र बना । वर्तमान सरकार ने पिछले दसक मे जिस तरह से मंदिरों के निर्माण और धार्मिक स्थलों के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित की है उससे भारत का धार्मिक पर्यटन काफी बढ़ा है। इससे न सिर्फ धार्मिक स्थलों के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी है बल्कि रोजगार के नए नए विकल्प भी स्थापित हुए है।

केंद्र सरकार ने बीते एक दसक मे भारत देश मे हिन्दू तीर्थ स्थलों के निर्माण या पुनः निर्माण मे अनुमानित 120 मिलियन डीलर खर्च किए है। अनुमान है की यह लगभग 100 मिलियन पर्यटक दर्शन करने आएंगे। इसके लिए सरकार ने बहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के साथ धार्मिक पर्यटन  स्थल  तैयार करवाए है। काशी विश्वनाथ कॉरीडोर से लेकर अबतक  कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया है। धार्मिक पर्यटन भारत की अर्थ व्यवस्था मे 7 फीसदी तक योगदान देता है जो देश की प्रगति का सूचक है।

धार्मिक आस्था के केंद्र भारत मे लोग धार्मिक पर्यटन पर काफी खर्च करते है। आंकड़ों की माने तो सकल घरेलू उत्पाद मे धार्मिक यात्राओ की 2.32 फीसदी हिस्सेदारी है। वही मंदिरों की आर्थिक उपयोगिता भी करीब 3 लाख करोड़ रुपये है। भारत मे सर्वाधिक तीर्थ स्थल है। वर्तमान मे देश मे 50 फीसदी से भी ज्यादा हिन्दू धार्मिक यात्रा  करते है। ऐसे मे बीते दसक मे तैयार हुये धार्मिक स्थलों पर आने वाले पर्यटकों की संख्या मे इजाफा होगा इससे न सिर्फ जीडीपी बल्कि देश की आर्थिक स्थिति  को  ठीक कियाज सकेगा।

मंदिरों व धार्मिक स्थलों मे अर्थव्यवस्था का असर साफ देखा जा सकता है, तीर्थ स्थलों मे देश के अर्थविज्ञान का गहरा अर्थ छुपा हुआ है। इससे देश के विकाश को नया आयाम देने की कोशिश की गई है। आवागमन की सुविधाये बढ़ाने से यात्राए भी सुगम हो गई है। सरकार तीर्थाटन की योजनाओ से देश विकास को नई रह दे रही है।

 

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